रांची:शांति के दूत थे मौलाना कल्बे सादिक। मौलाना का जीवन भारत के नागरिकों के लिए आदर्श का समान है। मौलाना ने अपना पूरा जीवन भारत में शिक्षा के पैगाम को आम करने और आपसी यकजहती भाईचारा को बढ़ावा देने में गुजरा। मौलाना धर्म के नाम पर नहीं इंसानियत के नाम पर पहचाने जाते थे। उक्त बातें झारखंड राज्य हज समिति के सदस्य सह अल ईमान चेरिटेबल ट्रस्ट नजफी हाउस के सदस्य सह मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजऱत मौलाना हाजी सैयद तहजीब उल हसन रिजवी ने शोक संदेश में कही। मौलाना ने कहा कि उनका कहना था के धर्म बाद में है इंसानियत पहले हैं। जिस मुल्क में इंसानियत मुर्दा होने लगे वह मुल्क तरक्की से रुक जाती है। मौलाना के निधन पर सिर्फ भारत नहीं बल्कि पूरा विश्व शोक में डूब गया है। ऐसा लगता है के मानव जाति का मसीहा हम सब से रूठ कर चला गया। अल्लाह मौलाना की मगफिरत करें और उनके मिशन पर हम सबको चलने की तौफीक दे। मौलाना गंगा जमुनी यकजहती के अलंबरदार थे। मौलाना कल्बे सादिक का जीवन हम सबके लिए आदर्श है। इसे सीख लेने की जरूरत है। आज के युग में भारत को धर्म नहीं बल्कि इंसानियत को बचाने का बीड़ा उठाने की जरूरत है। हमारे मूलक खतरा में नहीं है बल्कि मूलक की इंसानियत खतरे में है। गम का इजहार करने वालो में पत्रकार मो आदिल रशीद, हजऱत मौलाना सैयद मूसवी रज़ा, सैयद हसनैन ज़ैदी, सैयद जावेद हुसैन, समेत कई लोग में गम का इजहार किया।