कर्बला के मानने वाला ज़ुल्म नहीं कर सकता: मौलाना कल्बे रुशैद



जिसने नफ्स को पहचान लिया उसने ईश्वर को पहचान लिया: मौलाना तहजिबुल हसन

रांची: जिसने नफ्स को पहचान लिया उसने ईश्वर को पहचान लिया। नफ्स में स्वार्थ पाई जाती है। जिसने ईश्वर के वास्ते अपने नफ्स को कंट्रोल किया वह कामयाब हो गया। जब कोई अपने नफ़्स को ईश्वर के लिए लगा देता हैं तो आदमी मरने के बाद भी जिंदा रहता है। उक्त बातें झारखंड राज्य हज कमिटी के सदस्य सह हमदर्द कौम व मिल्लत हजऱत मौलाना हाजी सैयद तहजिबुल हसन रिज़वी ने कही। वह हजऱत मौलाना सैयद मूसवी रज़ा के पिता स्वर्गीय सैयद अली रज़ा के दूसरी पुण्यतिथि के मजलिस को जपला में सम्बोधित कर रहे थे। मौलाना ने कहा कि शिया नाम से नही किरदार से जाने जाते हैं। आज हम नफ़्स के गुलाम हैं। हम एक दूसरे की बुराई बयान करते है। उसकी अच्छाई बयान नही करते। एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाते हैं। अपने माता, पिता को दुख पहुंचाते हैं। जो अपने माता, पिता को पहचान नही स्का वो ईश्वर को कैसे पहचानेगा। अगर हम चाहते कि लोग मरने के बाद भी याद रखें तो हमें चाहिए कि लोगों से अखलाक और मोहब्बत से बात करें। वहीं दूसरी मजलिस को ख्याति प्राप्त इस्लामिक स्कॉलर हजरत मौलाना डॉ कल्बे रुशैद ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज हम सब्जेक्ट पर नहीं बल्कि तीन लफ्ज़ ऐलान, इशारा, राज़ पर बात करेंगे। पहला है ऐलान। ऐलान उनके लिए होता हैं जिनको इशारा समझ मे नही आता। अगर कोई बच्चा डॉक्टर बनेगा तो उसके लिए मैट्रिक का एक्ज़ाम देगा, इंटर साइंस पढ़ेगा। इसके बाद मेडिकल में दाखिला लेगा। अब समझने वाला समझ जाएगा कि बच्चा डॉक्टर बन रहा हैं। हमारे मौला हजरत अली काबा में पैदा हुए, यह इशारा था, हजऱत अली की ज़बान चूसी, यह इशारा था। हजऱत अली बिस्तर रसूल पर सोये, यह इशारा था। इशारा कौन समझता हैं जिसके पास अक़्ल हैं। मौलाना ने आगे कहा कि जो कर्बला के मानने वाला होता है वो ज़ुलम नहीं करता। समाज मे नफ़रत नही फैलाता। बहन के हक़, माता, पिता के हक़ को नही मरता। रिश्तों को समझना है तो कर्बला को समझें। वहीं मजलिस तरहीम के मुख्यातिथि बिहार शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन सैयद अफ़ज़ल अब्बास ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता है कि आवकाफ की ज़मीन को बचाये। में ख़िदमत के लिए आया हूं। मेरी कोशिश है कि पटना के सरज़मीन पर एक ऐसा अस्पताल बनाने का जिसका नाम होगा इमाम हुसैन। आप सब मेरे लिए दुआ करें कि हम कहीं कमज़ोर न पड़ जाए। मजलिस को मौलाना सैयद अली अब्बास बिहार, मौलाना सैयद मोहम्मद हुसैनी मुज़फ्फरनगर ने संबोधित किया। शोज खानी मोहम्मद रज़ा चांद,अली हसन, अदनान, हैदर अली ने पेश की। मजलिस का आयोजन सैयद मासूम रज़ा, मौलाना सैयद मूसवी रज़ा, सैयद मेहदी रज़ा के द्वारा किया गया। मौके पर गया के मक़बूल समाजसेवी सैयद जावेद हुसैन, कांग्रेसी लीडर सैयद हसनैन ज़ैदी, मोहम्मद ज़ीशान, बबलू जावेद, राजा, ज़िया, सैयद इरशाद, सैयद फ़िरोज, सैयद तक़ी, इक़बाल हुसैन पियारे, अर्शी, जानी, सैयद शमो, मोहम्मद भाई, अफ़ज़ल, सैयद हसन, सरकार, शब्बीर भाई आदि थे।