शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के तत्वावधान में ‘‘साँसे हो रही हैं कम, आओ वृक्ष लगायें हम’’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन ‘‘हंसा गार्डेन’’, देवघर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरेण्य गुरूभ्राता श्री हरीन्द्रानन्द जी ने कहा वन की महत्ता से हम सभी परिचित हैं। अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखेंगे, तो हम पायेंगे कि पूर्व में वनों का प्रतिशत ज्यादा था, जनसंख्या कम था, पशुओं की संख्या कम थी। इसलिए इसके महत्व के बारे में उतना नहीं सोचते थे, लेकिन बाद में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकरण, शहरीकरण, संरचनात्मक विकास की वृद्धि के साथ-साथ वनों का विनाश होता गया, जिसका परिणाम आज हाल की घटनाओं, जैसा कि हम सभी जानते हैं, केदारनाथ, बद्रीनाथ में आया भू-स्खलन, केरल, उत्तराखण्ड एवं हिमाचल में आया भू-स्खलन, लातूर (महाराष्ट्र) में सूखा, तो चेन्नई में सुनामी के रूप में प्रकट होता है। कहने का तात्पर्य है कि कहीं सूखा तथा कहीं बाढ़, तो कहीं Land slide के रूप में हमारे सामने आता है। वृक्ष लगाने का हमें केवल संकल्प ही नहीं कार्यान्वयन करना चाहिए कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के मुख्य सलाहकार अर्चित आनन्द ने कहा कि हमें वृक्षों को लगाना चाहिए। हम सब मिलकर लगभग पाँच लाख वृक्ष लगा चुके हैं और निरंतर इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी भारत में वनों का क्षेत्रफल 79.42 Million Hectare है, जो कि कुल भू-भाग का 24.16% है, जबकि झारखण्ड के कुल वनों का क्षेत्रफल 23605 Km2 है, जो कि कुल भू-भाग का करीब 26.61% है। सामान्य परिस्थिति में कुल भू-भाग का एक तिहाई, यानि 33.33% भू-भाग होना चाहिए, जो कि झारखण्ड में करीब 3.50% अभी भी कम है। पुनः पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान (Slope) के अनुसार वनों का प्रतिशत 40% से 80% तक होना चाहिए। प्रो॰ रामेश्वर मंडल ने आस्था बनाम अंधविश्वास पर बोलते हुए कहा आस्था सकारात्मक है और इसके विपरीत अंधविश्वास जीवन में कुण्ठा एवं निराशा उत्पन्न करता है। जीवन के हर पहलू पर व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अंधविश्वास और अफवाहें सचमुच में एक व्याधि है जिसके निदान के लिए सबों को सजग रहना होगा और समाज में जागरूकता फैलानी होगी।
इस कार्यक्रम में शिव कुमार विश्वकर्मा, इन्द्रभूषण सिंह, राकेश कुमार ‘‘गुड्डू’’, रामाशंकर सिंह, सुनील वर्मा समेत अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार रखें कि किस तरह से वृक्षों का संरक्षण किया जाय ताकि प्रदूषण से लड़ा जा सके और हम स्वच्छ हवा में साँसें ले सकें। इस कार्यक्रम में देवघर शहर से लगभग आठ सौ लोगों ने भाग लिया। उपस्थित लोगों में महिलाओं की संख्या अधिक थी।
निवेदक
शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची।