मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है दांतों के प्रति लापरवाही : डॉ.एम सिब्गतुल्लाह
रांची। दांतो की अनदेखी कदापि न करें। दांत और मसूढ़े स्वस्थ रहेंगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा। दांतो के प्रति लापरवाही मुंह के कैंसर का कारण बन सकती है।
उक्त बातें शहर के प्रख्यात दंत रोग विशेषज्ञ (मैक्सीलोफेसियल सर्जन) व कडरू स्थित एमके डेंटल क्लीनिक के संचालक डॉ.एम सिब्गतुउल्लाह ने कही।
उन्होंने कहा कि अमूमन लोग अपनी दांतो की सेहत के प्रति लापरवाह रहते हैं।
व्यस्ततम दिनचर्या व बदलती जीवनशैली के कारण सही तरीके से दांतो की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसा करना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि दांत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। भोजन चबाकर खाने में दांतो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चबाया हुआ भोजन (खाद्य सामग्री) पाचन शक्ति (हाजमा) दुरुस्त रखने में सहायक होता है।
डॉ.सिब्गतुल्लाह ने कहा कि बदलते मौसम के समय दांतो की विशेष देखभाल जरूरी है। तापमान के उतार-चढ़ाव और जलवायु परिवर्तन के समय प्रकृति के अनुकूल गर्म और ठंडे शीतल पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए। अधिक गर्म और अधिक ठंडी चीजों का उपयोग न करें। इससे दांत में झनझनाहट पैदा हो सकती है और दातों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि तकरीबन 70 फीसदी मुंह के कैंसर की मुख्य वजह दातों के प्रति लापरवाही बरतना है। अधिकतर लोग दातों की सेहत के प्रति सजग नहीं रहते हैं। नतीजतन जल्द ही दांत क्षतिग्रस्त होकर नष्ट होने लगते हैं। यदि समय पर दांतों की समुचित देखभाल की जाती रही, तो दांत संबंधी कई रोगों से बचाव संभव है।
उन्होंने कहा कि मौसम में परिवर्तन के साथ खानपान पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त नियमित रूप से दो बार प्रतिदिन ब्रश करना अत्यंत जरूरी है।
- नीम,बबूल व करंज के दातून अत्यंत लाभकारी
डॉ.सिब्गतुल्लाह ने कहा कि नीम, बबूल, करंज सहित अन्य औषधीय व फलदार पेड़-पौधों के दातून का उपयोग करना अत्यंत लाभकारी है। इसके अतिरिक्त बाजार में मेडिकेटेड टूथपेस्ट और टूथब्रश भी उपलब्ध हैं, जो दांतों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हमारे शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों की तरह दातों की देखभाल भी अत्यंत जरूरी है। इसकी अनदेखी करने से असमय दांत क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। दांतों में सड़न होने से दांत निकालने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है या आरसीटी (रूट कैनाल ट्रीटमेंट) का सहारा लेना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि दातों में तीन लेयर (सतह) होते हैं। ऊपरी लेयर एनामेल, बीच का लेयर डेंटिन और अंदरूनी लेयर को ‘पल्प’ कहा जाता है। प्रथम लेयर प्रभावित होते ही विशेषज्ञ दंत चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए, ताकि दांत सुरक्षित रह सके। अन्यथा दातों के अंतिम लेयर पल्प (कोशिकाएं) क्षतिग्रस्त होने पर दांत निकालना या रूट कनाल एकमात्र विकल्प रह जाता है। इससे बचने के लिए दांतों की नियमित देखभाल करना जरूरी है।