नहीं रहे शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द महाराज जी

रांची :- शिव शिष्य परिवार के संस्थापक हरीन्द्रानन्द जी ने आज तीन बजे सुबह रांची के पल्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। हरींन्द्रानन्द जी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था । दो दिन पूर्व उन्हें पल्स आस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ डॉक्टरों ने इलाज के दौरान हार्ट में ब्लॉकेज बताया था। एंजियोग्राफी के लिए उन्हें बाहर ले जाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन इसके पूर्व ही उन्होंने नश्वर संसार का त्याग कर दिया।
मूलतः बिहार के सिवान जिले के अमलोरी गांव के रहने वाले हरीन्द्रानन्द जी का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को हुआ था। बचपन से अज्ञात को ज्ञात करने की चाहत ने उन्हें आध्यात्मिक अन्वेषण की ओर प्रवृत्त किया। लिहाजा नवंबर 1974 की एक रात आरा के गांगी श्मशान में उनके भीतर आत्मदीप्त चेतना जागृत हुई कि गुरु अगर परब्रह्म हैं तो परब्रह्म स्वयं गुरु क्यों नहीं ? उन्होंने तत्क्षण भगवान शिव को गुरु मान लिया और यहीं से चल पड़ी उनकी आध्यात्मिक यात्रा। आज उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर करोड़ों लोगों ने शिव की शिष्यता ग्रहण की और पाया कि सचमुच शिव नाम के ही नहीं काम के भी गुरु हैं।
बिहार प्रशासनिक सेवा के संयुक्त सचिव के पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद पूरी तरह से शिव शिष्यता का अलख जगाने के लिए समर्पित हो गए थे।
साहब का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान A-17,SEC-2,HEC, DHURWA,(पुरानी विधानसभा के पीछे, गेट नंबर -1) राँची में सुबह 11 बजे से संध्या 5 बजे तक लोगों के दर्शनार्थ रखा गया पुनः आज यानि 05/09/2022 को सुबह 6 बजे से 11 अपराह्न तक लोगों के दर्शनार्थ रखा जायेगा। उसके बाद सी टी ओ धुर्वा में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।