एनजीओ संचालित एंबुलेंस की अवैध पार्किंग से खेल का मैदान भी हुआ बदहाल
विशेष संवाददाता
रांची। अमूमन एंबुलेंस को जीवन रक्षक वाहन के रूप में जाना जाता है। इमरजेंसी में मरीजों को समुचित चिकित्सा मुहैया कराने के लिए समय पर अस्पताल पहुंचाने में एंबुलेंस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। लेकिन जब एंबुलेंस ही संक्रामक रोगों का वाहन (वाहक) हो जाय, तो इसे क्या कहेंगे?
ऐसा ही कुछ नजारा एचईसी के वीवीआईपी कॉलोनी सेक्टर तीन (एफ टाइप व ई टाइप आवासीय परिसर) में देखा जा सकता है। उक्त काॅलोनी में एक एनजीओ (हंस फाउंडेशन) द्वारा संचालित तकरीबन डेढ़ दर्जन एंबुलेंस विगत लगभग छह माह से अवैध रूप से पार्किंग किए जा रहे हैं। शाम लगभग पांच बजे से सुबह करीब दस बजे तक एंबुलेंस की अवैध रूप से पार्किंग की जाती है। मोहल्लेवासियों के अनुसार एंबुलेंस का आवागमन संस्था के निर्देशानुसार विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिदिन होता रहता है। प्राय: रोज शाम में सभी एंबुलेंस को कॉलोनी स्थित खेल के मैदान में तथा अधिकारियों के आवासों के सामने खड़ा कर दिया जाता है। कॉलोनीवासियों के मुताबिक विभिन्न स्थानों से लौटकर कॉलोनी में अवैध रूप से पड़ाव किए जा रहे एंबुलेंस से बायोमेडिकल वेस्ट निकालकर यत्र-तत्र फेंक दिए जाते हैं, जिससे संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी रहती है।
कॉलोनी के कई युवाओं ने बताया कि मैदान में वॉलीबॉल, फुटबॉल आदि खेलों का आनंद क्षेत्र के बच्चे उठाया करते थे। लेकिन एंबुलेंस के आवागमन के कारण मैदान पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो गया है। इससे खेल का मैदान खेलने लायक नहीं रह गया है। कॉलोनी के कई लोगों ने बताया कि इस संबंध में एचईसी के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए यथोचित कार्रवाई का अनुरोध भी किया गया है। यह भी बताया जाता है कि एचईसी के कतिपय सुरक्षाकर्मियों की शह पर और उनके संरक्षण में एनजीओ संचालित एंबुलेंस की पार्किंग की जा रही है।
गौरतलब है कि इस कॉलोनी में एचईसी के शीर्ष अधिकारियों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के पूर्व मंत्री सहित दर्जनों विधायकों और कई आईएएस-आईपीएस अधिकारियों का आवास है।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री के सुरक्षाकर्मियों के वाहनों के लिए बनाए शेड पर भी एंबुलेंस चालकों का कब्जा:
एचईसी आवासीय परिसर के उक्त कॉलोनी में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का आवासीय कार्यालय (ई-39/3) है। उनके यहां प्रतिनियुक्त सुरक्षाकर्मियों के वाहनों के लिए आवास के सामने बनाए गए शेड पर भी एंबुलेंस के चालकों ने अपना कब्जा जमा लिया है। सुबह तकरीबन 9 से 10 बजे के बीच अपने दोपहिया वाहनों को शेड में पार्किंग कर संबंधित एंबुलेंस के चालक अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान कर जाते हैं और फिर शाम में लौटकर एंबुलेंस को अवैध तरीके से मैदान में पार्क कर अपने दोपहिया वाहन से घर लौट जाते हैं। इस प्रकार सुबह लगभग दस बजे से लेकर शाम पांच बजे तक एंबुलेंस चालकों का दोपहिया वाहन सुरक्षाकर्मियों के लिए बनाए गए शेड के नीचे लगा रहता है।
जबकि कई सुरक्षाकर्मी अपने दो पहिया वाहनों का बाहर में ही पड़ाव करने को विवश होते हैं।