प्रख्यात समाजसेवी
रांची: समाजसेवा सबसे बड़ा मानव धर्म : सैयद खुर्शीद अख्तर सबसे बड़ा मानव धर्म है। इससे जो सुकून मिलता है, वह अपार धन की प्राप्ति से भी नहीं मिल सकता है। ऐसा मानना है राजधानी के कांके रोड स्थित खान मुहल्ला निवासी नामचीन समाजसेवी सैयद खुर्शीद अख्तर का। वह समाजसेवा के प्रति समर्पित शख्सियत हैं। कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा नामकोम स्थित बिशप वेस्टकॉट ब्वायज स्कूल से हुई। वहीं से मैट्रिक की परीक्षा पास की। मारवाड़ी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। उनमें समाजसेवा का जुनून बचपन से ही रहा। युवावस्था में यह शौक और अधिक परवान चढ़ने लगा। उनके पिता स्व.डॉ. सैयद असगर हुसैन भी शहर के जाने माने समाजसेवी थे। खुर्शीद अख्तर को समाजसेवा की प्रेरणा उनके पिता से मिली। वह बताते हैं कि बचपन में एक गाना अक्सर वह गुनगुनाया करते थे। गाने के बोल थे, ” अपने लिए, जीए तो क्या जीए, ऐ दिल, तू जी, जमाने के लिए…” आगे चलकर उन्होंने बादल फिल्म के इस गाने की चंद भावनात्मक पंक्तियों को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया और समाजसेवा को सर्वोपरि समझते हुए इसे अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बना लिया। पेशे से व्यवसायी खुर्शीद अख्तर अपने पारिवारिक और व्यावसायिक गतिविधियों का बखूबी निर्वहन करते हुए सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेने लगे। समाजसेवा के क्षेत्र में उनकी सक्रियता देखते ही बनती है। किसी भी धर्म, समुदाय का समारोह हो, खुर्शीद उसमें शामिल होकर सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करते हैं। सर्वधर्म- समभाव के सिद्धांतों पर चलते हुए उन्होंने समाजसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। धर्म, जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर दीन-दुखियों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सामाजिक है। वह तीन भाई व तीन बहन हैं। उनके परिवार के सभी सदस्य सामाजिक सरोकारों को तवज्जो देते हैं। खुर्शीद अख्तर अखिल भारतीय सामाजिक संस्था कौमी इत्तेहाद मोर्चा की झारखंड राज्य ईकाई के समन्वयक हैं। वह ख्यातिप्राप्त गैर सरकारी मानवाधिकार संगठन मानव अधिकार सुरक्षा संघ के झारखंड राज्य के वाइस प्रेसिडेंट हैं। वह कांके रोड स्थित मदरसा सरिया, भिठ्ठा के संरक्षक हैं। समाज के किसी भी वर्ग के लोगों की समस्याएं हों, किसी के साथ मानवाधिकारों के हनन का मामला हो, अमन-चैन का खतरा हो, सांप्रदायिक सौहार्द्र पर आंच आ रहा हो, गरीब युवतियों की शादी पैसे के अभाव में नहीं हो पा रही हो, गरीब बच्चों का स्कूलों में नामांकन नहीं हो पा रहा हो, खुर्शीद अख्तर इन समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर दिखेंगे। उनके सहयोगी के रूप में अमन पसंद लोगों की सशक्त टीम है, जो सामाजिक समरसता बनाए रखने में उनका हर संभव सहयोग करती है। वह विभिन्न धर्मों के पर्व-त्योहारों के अवसर पर स्वागत व सेवा शिविर का भी आयोजन करते हैं। वह सामाजिक संगठनों के अलावा राजनीतिक दलों का भी आह्वान करते हुए कहते हैं कि सामाजिक कार्यों में राजनीति को शामिल न करें। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाजसेवा को तरजीह दें। तभी मनुष्य होने की सार्थकता है। नि:स्वार्थ भाव से समाजसेवा करने से स्वस्थ और समृद्धशाली राष्ट्र का नवनिर्माण संभव है।