शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन, राँची के तत्वावधान में ‘‘आस्था बनाम अंधविश्वास’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन अनुश्री उत्सव स्थली, रूद्रपुर रोड,देवरिया, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया गया।मुख्य अतिथि श्री अर्चित आनन्दजी ने आलोच्य विषय पर बोलते हुए कहा आस्था सकारात्मक है और इसके विपरीत अंधविश्वास जीवन में कुण्ठा एवं निराशा उत्पन्न करता है। जीवन के हर पहलू पर व्यक्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अंधविश्वास और अफवाहें सचमुच में एक व्याधि है जिसके निदान के लिए सबों को सजग रहना होगा और समाज में जागरूकता फैलानी होगी। सही गुरू का सानिध्य व्यक्ति को अंधविश्वासों से मुक्त करता है। श्री आनन्द ने अपने वक्तव्य में बताया कि समाज में फैली कुरीतियों, कुसंस्कारों, अंधविश्वासों, अफवाहों के प्रति स्वच्छ जागरूकता पैदा करना एक-एक व्यक्ति का नैतिक कर्त्तव्य है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(क) में वर्णित मौलिक कर्त्तव्यों में ‘‘प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य होगा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करें।’’न्यास के उपाध्यक्ष शिव कुमार विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन में किसी भी अंधविश्वास या आडम्बर का कोई भी स्थान बिलकुल नहीं है। न्यास देश की एकता और अखंडता को बनाए रखते हुए संवैधानिक दायरे में तमाम सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध करता है। संगोष्ठी में देवरिया एवं आस-पास से लगभग पाँच सौ लोग आए थे। महिलाओं की संख्या अधिक थी।