डोरंडा मनिटोला क़ब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया
रांची: आज दिनांक 11 अगस्त 2020 को अंजुमन इसलामिया अस्पताल के संस्थापक और मक़बूल समाजसेवी मोहम्मद नेसार आलम का निधन हो गया (इन्ना लीलाहे व इन्ना इलैहे राजीओंन)। मिट्टी मंज़िल 11अगस्त को बाद नमाज़ मगरिब डोरंडा मनिटोला कब्रिस्तान में नमाज़ जनाजा अदा की गई और वहीं सुपुर्द ए खाक किया गया। ज्ञात हो की नेसार आलम मंगलवार को मेदांता अस्पताल में आखरी सांस ली। जैसे ही लोगो को पता चला कि अंजुमन अस्पताल के नेसार आलम का इंतेक़ाल हो गया तो लोग उनके घर की ओर डोरंडा मनीटोला के तरफ चल दिये। रांची क्षेत्र से बाहर रहने वाले लोग भी लोकड़ोंन के कारण गाड़ी बुक करके पहुंचे। सभी लोगो ने उनसे अपने अच्छे रिश्ते को बयान करने लगे। कोई कहने लगा हम से बहुत अच्छा रिश्ता था। ऐसा मिलनसार आदमी था कि लोग इन्हें भुला नही सकते। वह अपने पीछे 1 भाई, 9 बहन, 1 बेटा, 1 बेटी समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए। जनाजा में शामिल होने वालों में पत्रकार आदिल राशिद, सेंट्रल मुहर्रम कमिटि के महासचिव अकिलुर्रह्मान, समाजसेवी हाजी सरवर, हाजी हलीमुद्दीन, नफ़ीस अख्तर, मुस्तफ़ा, ज़ुबैर इक़बाक, जमीयत उलेमा झारखंड के कोषाध्यक्ष शाह उमेर, फिरोज अहमद,अबुज़र आलम, इमरान रज़ा अंसारी, हाजी मजहर, अब्दुलम्नांन, कारी जान, समीउल्लाह आज़ाद, नेहाल अहमद, हाजी माशूक़, अमीर जमात गुलाम सरवर, सैयद आलम,अय्यूब राजा खान, आजसू नेता अशरफ खान चुन्नू, हाजी उमर भाई, पार्षद मोहम्मद असलम, पार्षद पति फिरोज उर्फ रिंकु, पत्रकार मोदस्सिर इकबाल, मोहम्मद कैसर, दरगाह कमिटि के सचिव मोहम्मद फ़ारूक़, मो नसीम, इसके अलावा राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य लोग आखरी दीदार के लिए पहुंचे और सभी ने अपने अपने तरीके से संवेदना व्यक्त की।
पूरी जिंदगी को समाजसेवा में की समर्पित
नेसार आलम अंजुमन इसलामिया अस्पताल में स्टूडेंट्स के ज़माना से जुड़े। जब अंजुमन अस्पताल का सिर्फ ज़मीन था, 80 से 85 लोग मिलकर एक निर्णय लिया कि इस ज़मीन पर एक अस्पताल खड़ा करना हैं। 1980 में अस्पताल का शक्ल दिया गया और अंजुमन अस्पताल शुरू किया गया। इससे पहले शिफा खाना था कभी खुलता तो कभी बंद रहता था। अंजुमन अस्पताल में मोहम्मद नेसार आलम अपने सक्रियता के बिना पर कई टर्म सचिव रहे। गरीबों, यतीमो, बेवाओं के लिए हमेशा मदद के लिए आगे रहते थे। इनके बचपन के दोस्त नफ़ीस अख़्तर, हाजी हलीम, अकिलुर्रह्मान ने बताया कि उस ज़माना में जब एम्बुलेंस नही था और था भी तो पूरे रांची में एक या दो था उस वक़्त नेसार आलम के पास जीप गाड़ी था। उसी जीप में वह मरीजों को खुद से चलाकर अस्पताल ले जाते थे और लाते थे। अपनी गाड़ी को एम्बुलेंस के काम मे लाते थे। इन्होंने पूरी जिंदगी अंजुमन अस्पताल में लगा दी। मैट्रिक सन्त पॉल स्कूल से किया। स्कूल लाइफ से ही ये समाजसेवा में लग गए। इंटर मीडिएट गोसनर कालेज से किया। मास्टर डिग्री रांची यूनिवर्सिटी से किया। एलएलबी भी किया।
आज हम यतीम हो गए,: हाजी सवर
रांची के मक़बूल समाजसेवी सह कर्बला चौक दुकानदार समिति के अध्यक्ष हाजी सरवर ने अपने आंसू को छिपाते हुए कहा कि आज हम यतीम हो गए। पिता स्वर्गीय इब्राहिम के जाने के बाद बड़े भाई नेसार आलम ने पिता का प्यार दिया। बड़े भाई नेसार आलम मेरे मार्गदर्शक अभिभावक रहे हमेशा मुझे स्नेह और प्यार मिलता रहा। इनके इंतकाल से आज हम पूरी तरह यतीम हो गए। अल्लाह पाक बड़े भाई को जन्नतुल फिरदौस में जगह अता फरमाए। आमीन।