रांची: हिंदुस्तानी संविधान जो बाबा भीमराव अंबेडकर हिंदुस्तान सपूतों के साथ मिलकर बनाया है वाह बहुत ही सशक्त और मजबूत राष्ट्र को निर्माण करने वाला है। जिसमें बगैर भेदभाव के हर समुदाय को अधिकार प्राप्त है। परंतु 9 दिसंबर को लोकसभा में और 11 दिसंबर को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल संविधान के तमाम उसूलों के दरकिनार करते हुए ज़िद की बुनियाद पर पास करने से यहां के संविधान की जड़ों को कमजोर करने की प्रयास है। उक्त बातें एदार ए शरिया झारखंड और जमीयत उलेमा झारखंड के आह्वान पर मस्जिद के बाहर पुरअम्न एहतेजाज कर उलेमा कहा । एदारा शरिया के नाजिम आला मौलाना क़ुतुबुद्दीन रिज़वी ने कहा यह बिल धारा 14, 15, 21 और अन्य धाराओं के विरुद्ध है। और यह बिल भारत के इतिहास में काला अध्याय है। आज जो भारत जल रहा है और भारत की जनता इस बिल को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपति को पुनर्विचार करते हुए इस बिल को वापस करते हुए देश की रक्षा के लिए कारगर कदम उठाए। देश धर्म और जात की बुनियाद पर नहीं चलता बल्कि संविधान और लोकतंत्र के प्रक्रिया पर चलता है। सीएबी एनआरसी हमें मंजूर नहीं।
- वहीं जमियत उलेमा झारखंड के महासचिव मौलाना अबुबकर क़ासमी ने कहा कि जमियत उलेमा हिन्द के ऐलान पर सीएबी और एनआरसी के खिलाफ पूरे हिंदुस्तान में विरोध हुआ रांची शहर के लगभग मस्जिद झारखंड के सभी जिला के मस्जिद में बाद नमाज़ जुमा लोगों ने अपने हाथों पर काला पट्टी बांधकर तुरंत जांच किया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन डीसी रांची को सौंपा गया मौलाना अबू बकर ने कहा कि सीएबी और एनआरसी को लेकर भारत के लोगों में काफी कम हो गया है। रांची के बड़ी मस्जिद, छोटी मस्जिद, कडरू जामा मस्जिद, हरमू मस्जिद, कांटा टोली मस्जिद, रमजान कॉलोनी मस्जिद, जामा मस्जिद, मदरसा चौक मस्जिद, बलसोकरा मस्जिद, डोरंडा बाजार मस्जिद, डोरंडा मजार वाली मस्जिद, फ़ताउल्ला मस्जिद, पथलकुदवा मस्जिद, लापुर मस्जिद, फुल सूरी मस्जिद, शकरगढ़ जामा मस्जिद, लोहरदगा मस्जिद, इक़रा मस्जिद समेत कई मस्जिदों में जुम्मा नमाज़ के बाद लोग शांति पूर्ण एहतेजाज किया। इस मौके पर एदार ए शरिया के नाजिम आला मौलाना कुतुबुद्दीन रजीवी, मुफ़्ती फैजुल्ला मिस्बाही, मौलाना जसीमुद्दीन, कारी अय्यूब, अकील उर रहमान, मौलाना अबू बकर कासमी, मौलाना अब्दुस समी मुफ्ती कमरे आलम, कारी एहसान, हाफिज अबुल कलाम, हाजी मुख्तार, मौलाना तोफिक अहमद कादरी, हाफिज उल हसन, शूजाउद्दीन, मुफ़्ती अब्दुल्ला अज़हर, हाजी रऊफ गद्दी समेत कई लोग थे।