विधानसभा का सत्र सुचारू रूप से नहीं चलना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं : अमेरिका प्रसाद साहू


रांची। सदान विकास पार्टी के रांची जिला अध्यक्ष अमेरिका प्रसाद साहू ने कहा है कि झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र का निर्धारित समय से एक दिन पहले ही स्थगित कर दिया जाना लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। सदन सुचारू रूप से नहीं चलने के कारण जनता के सवाल धरे के धरे रह गए। यह जन समस्याओं के प्रति जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा दर्शाता है।
श्री साहू ने कहा कि एक तो वैसे ही विधानसभा के मॉनसून सत्र की अवधि काफी कम थी। मात्र छह दिनों की सत्रावधि के दौरान सरकार की ओर से बमुश्किल कुछ विधायी कार्यों का निपटारा किया जा सका। लेकिन एक दिन भी सदन ठीक से नहीं चल सका। हंगामा, विरोध, धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी के बीच शुक्रवार (चार अगस्त) को माॅनसून सत्र स्थगित करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कर दी गई। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विरोध करने और अपनी बात करने का अधिकार सबको है, लेकिन विरोध जब शोरगुल और हंगामे में परिवर्तित हो जाता है, तो यह निरुद्देश्य हो जाता है।
श्री साहू ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को, चाहे वह सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, सदन की मर्यादा और अनुशासन का आदर्श उदाहरण पेश करना चाहिए।
लेकिन मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से सदन को बाधित करने में ही अपनी पूरी ऊर्जा खफा दी गई। इससे जनता के कई अहम सवाल अनुत्तरित रह गए। हंगामे के कारण जनहित से जुड़े आवश्यक विधेयकों पर भी सदन में चर्चा नहीं हो सकी। पूरा कार्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया।
उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा आखिरकार राज्य की जनता को ही भुगतना पड़ रहा है।
सदन को बाधित करने की परंपरा सी बन गई है।
मॉनसून सत्र में सुखाड़ सहित कई महत्वपूर्ण विषयों को उठाने से भी संबंधित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि वंचित रह गए। यह अच्छी परंपरा नहीं कही जा सकती है। जनप्रतिनिधियों को जनता के सवालों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है, तभी लोकतंत्र की गरिमा बरकरार रह सकती है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा पर पूरे राज्य के लोगों की निगाहें लगी होती हैं। जनता की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। लेकिन सत्र सुचारू रूप से नहीं चलने की वजह से जनसमस्याएं जस की तस रह गई। लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है।
श्री साहू ने कहा कि विधायकों और राजनीतिक दलों को इस पर गहन मंथन करने की आवश्यकता है। विरोध प्रदर्शित करें, लेकिन सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए कार्यवाही बाधित न होने दें। यह सत्ता और विपक्ष दोनों दलों की जिम्मेदारी है।