झारखंड ने डॉक्टर इकबाल नैयर क़ासमी के रूप में एक निडर और बेबाक व्यक्तित्व को खो दिया: मौलाना तौकीर आफंदी मजाहिरी


आह डॉक्टर इकबाल साहब, आपने हम उलामा और अवाम को यतीम बना दिया, आपने कई दशकों तक बालूमाथ की एक अलग पहचान बनाई, लोगों के जज्बे को निखारा, हिंदू मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा दिया, लोगों को जोड़े रखा, शिक्षा के स्तर को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, कई पुस्तकें लिखीं, जिन में “सीरत सरकार-ए-दोआलम” जैसी जबरदस्त, शानदार और काबिले जिक्र किताब लिखी, जब भी आपके पास बैठते थे तो इल्म का दरिया बहता था, आप इल्म के पहाड़ थे, हमेशा आपसे कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता था, आपके पास होते थे तो कभी आभास ही नहीं होता था के हमारी आपके सामने कोई हैसियत नहीं, हमेशा अपने बेटों की तरह मिले, अच्छे मशवरे और राय दिए, आप हमेशा हमारी रहनुमाई करते थे, आप हमेशा मुस्कुराते रहते थे, हिम्मत वाले थे, लेकिन अंत अंत में टूट सा गए थे, आप थे तो हम लोगों को एक हिम्मत थी, आप थे तो एक उम्मीद थी, आप थे तो एक सहारा था, आपके होने से हौसला मिलता था, नई ऊर्जा प्राप्त होता था, आप ने हम सबको बेसहारा कर दिया, आप ने हम सब की उम्मीदों को तोड़ दिया, लगता नहीं था के ये सब इतना जल्दी खत्म हो जाएगा, लेकिन ईश्वर के सामने किसी की नहीं चलती, सब खत्म हो गया, वैसे भी दुनिया में आपका असल मकाम और मर्तबा वही है जिसका इजहार लोग आपकी गैरमौजूदगी में करते हैं, कुल मिला के बालूमाथ नहीं बल्कि झारखंड ने डॉक्टर इकबाल नैयर साहब क़ासमी के रूप में एक बेबाक और निडर व्यक्ति को खो दिया, और ये हकीकत है के हम सबको अपने ईश्वर की तरफ लौट कर जाना है, आप पहले चले गए, अब हमारी बारी है, ईश्वर से प्रार्थना है के रब तबारक व तआला आपकी मगफिरत फरमाए, गुनाहों को माफ फरमाए, दरजात को बुलंद फरमाए, घर वालों को सबर-ए-जमील अता फरमाए, आमीन