झारखंड समन्वय समिति के बैनर तले विधानसभा घेराव कार्यक्रम में बोले वक्ता गण, “झारखंडवासियों का नहीं हो रहा विकास”
रांची। खतियान आधारित नियोजन व स्थानीय नीति की मांग को लेकर झारखंड समन्वय समिति के बैनर तले सोमवार को विधानसभा के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर विभिन्न आदिवासी -मूलवासी संगठनों के प्रतिनिधि गण शामिल थे। विधान सभा घेराव का नेतृत्व पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, प्रदेश अध्यक्ष अखिल (भारतीय आदिवासी विकास परिषद ) पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, झारखंड निर्माण के अग्रणी आंदोलनकारी पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा, पूर्व विधायक अमित महतो, (आदिवासी जन परिषद) के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, (केंद्रीय सरना समिति) अध्यक्ष बबलू मुंडा, अभय भूट कुवर ( आदिवासी लोहरा समाज),शिव टहल नायक (दलित संघर्ष संघर्ष समिति, आजम अहमद ( झारखंड आंदोलनकारी)कुंदरशी मुंडा ने किया। खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति,उद्योग नीति, भाषा नीति आदिवासी मूलवासी छात्र नौजवानों को नौकरी के साथ-साथ ठेका-पट्टा और व्यापार में भागीदारी की मांग सुनिश्चित करने हेतु सभी नेतागण सामूहिक नेतृत्व में सड़क पर उतरे और विधान सभा घेराव किया गया। विधान सभा मार्च हरमू मैदान से शुरू होकर विधानसभा तक पंहुचा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड के निर्माण के लिए हमारे पुरखा लोग लड़े,परंतु झारखंड में न बेरोजगारों को नौकरी मिल रही है, न ही कारोबार में भागीदारी दिया जा रहा है। इतने आंदोलन होने के बावजूद हेमंत सरकार तानाशाह की तरह काम कर रही है। झारखंड के सवालों को लेकरआने वाले समय में इनको भुगतना पड़ेगा। जनता इनको जवाब देगी। हम लोग किसी भी कीमत पर बाहरी भाषा, संस्कृति को बर्दाश्त नहीं करेंगे। विधानसभा सत्र में कोई भी निर्णय नहीं लिया जाता है तो सभी संगठन के प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर बैठक कर आगे की रणनीति तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष रुकेगा नहीं, आखरी दम तक लड़ते रहेंगे। पूर्व विधायक अमित महतो ने कहा कि झारखंड की जन भावनाओं को लेकर सरकार काम नहीं कर रही थी, इसलिए पार्टी से इस्तीफा देकर खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग को लेकर कूद पड़ा और जब तक झारखंड में खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू नहीं होता है तब तक झारखंड राज्य के कोने कोने में जाकर के जनता को बताएंगे और मेरा अंतिम दम तक संघर्ष जारी रहेगा। पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड को उपनिवेशवाद बना दिया गया। सरकार का कंट्रोल बाहरी शक्तियों के पास है। इससे झारखंड की जनता में आक्रोश है। झारखंड के अधिकार के लिए एकमात्र रास्ता रह गया है जन संघर्ष। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि 21 वर्षों में सिर्फ बाहरियों का विकास हुआ है। यहां का मुख्यमंत्री भाषा, संस्कृति के साथ-साथ झारखंड के बालू, खनिज संपदा को पूरी तरह से बेच दिया है। लंबे संघर्ष के बाद झारखण्ड राज्य हम लोगों ने लड़ के लिया था परंतु गुरु जी के पुत्र हेमंत सोरेन ने राज्य को 21वर्ष में हाशिए पर ला दिया। इसलिए राज्य में एक नया विकल्प की आवश्यकता है। राजनीतिक विकल्प के बिना झारखंड विकास के रास्ते पर नहीं जा सकता। झारखंड में 1932 का खतियान आधारित और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर सविधान के अनुच्छेद 371 के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति बनाया जाये। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने झारखंड के भाषा ही नहीं बल्कि यहां की सांस्कृतिक विरासत को भी समाप्त कर दिया गया है। राज्य में आदिवासी मूलवासी- छात्र नौजवान नौकरी न मिलने के कारण तिलमिला गए हैं। झारखंड की एक व्यक्ति का जागीर नहीं है। अलग राज्य के कई ऐसे योद्धा हैं, अलग राज्य के निर्माण में आहुति दी है। उन्होंने कहा कि झारखंड के छात्र नौजवान और आदिवासी -मूलवासी समाज के लोग जब तक स्थानीय नियोजन नीति लागू नहीं होता है तब तक अपना संघर्ष जारी रखें। उन्होंने कहा कि आदिवासी जन परिषद हेमंत सोरेन से मांग करती है कि अविलंब राज्य के हित के लिए खतियान आधारित स्थाई नीति बनाया जाए क्योंकि स्थानीय नीति, कृषि नीति, खेल नीति,भाषा नीति के अभाव में राज्य के छात्र -नौजवान, मजदूर किसान पलायन करने को मजबूर हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि आखिर हम लोग कितना लड़ें। हेमंत सरकार आदिवासी होकर भी आदिवासी मूलवासियों के हित में काम नहीं कर रही है। यह झारखंड के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार झारखंड के सवालों को लेकर जैसे स्थानीय नीति स्थानीय /नियोजन नीति,भाषा नीति,उद्योग नीति पर चर्चा एकदम नहीं करती है यह सरकार। जनविरोधी अफसर, दलाल, बिचौलियों के द्वारा घिरे हुए है इसलिये हम लोगों को संघर्ष तेज करने की आवश्यकता है। बाॅक्स: उपेक्षित हैं झारखंड के मूलवासी: आजम अहमद झारखंड आंदोलनकारी नेता आजम अहमद ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के निर्माण में हम लोगों ने जी जान से संघर्ष किया। झारखंड के आदिवासी मूलवासी ने आहुति दी। इसके बावजूद झारखंड में स्थानीय नीति लागू नहीं हो रहा है। यह हम लोगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार आंदोलनकारियों को उपेक्षित रख रही है। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के ग्रामीण अध्यक्ष कुंदरशी मुंडा ने कहा कि अभी लड़ाई बाकी है। हमको जनता के बीच जा जा कर के और भी जागरूकता करने की आवश्यकता है। इसलिए सभी सामाजिक संगठन एक मंच पर आएं। संघर्ष को तेज करें कार्यक्रम में तीर्थ नाथ आकाश,कुंदरसी मुंडा,विकास महतो,आजम अहमद, महान पुरोहित जगलाल पाहन देवेंद्र महतो, पवन तिर्की,निरंजना हेरेज टोप्पो ,सुबोध दांगी, अभय भुट कुंवर,सोमदेव करमाली, संजय मेहता,मनोज यादव शिव टहल नायक,लाला महाली, सुरेंद्र लिंडा,मुकेश भगत,प्रदीप कच्छप प्रीतम लोहरा,दुर्गा कच्छप सेलिना लकड़ा,सुप्रिया कच्छप अमर मुंडा, प्रेम लिंडा, बिकाश सांगा, अनिल उरांव कच्छप,संकुंतला उरांव, सुरेश मुंडा,अशोक मुंडा,राजू मुंडा नायक प्रवीन कच्छप ने भी सम्बोधित किया।