मजलिस के द्वारा मुसलमानों की मूलभूत समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया
रांची: मजलिस (मुस्लिम एसोसिएशन फॉर जस्टिस लिटरेसी एण्ड सोशल एवारनेस) झारखंड के तत्वाधान में में दिनांक 12.09.2021 रविवार को मेन रोड स्थित रहमानिया मुसाफिरखाना, सभागार इस्लामिया रांची परिसर में विभिन्न मुस्लिम संगठनों एवं सामाजिक कार्यकर्ता की एक आवश्यक आम बैठक अंजुमन इस्लामिया, रांची के अध्यक्ष श्री इबरार अहमद की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अंजुमन इस्लामिया रांची के महासचिव श्री मुख्तार अहमद ने भाग लिया इस बैठक में रांची शहर एवं निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं सामाजिक संस्थाओं के अगुआ भाग लिये। मजलिस द्वारा आयोजित बैठक में झारखंड के अल्पसंख्यकों विशेष कर मुसलमानों की मूलभूत बुनियादी समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, उद्योग, विभिन्न सरकारी बोर्ड, निगम, आयोग, विश्वविद्यालयों में सहभागिता बैंक ऋण सुविधाओं आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता है और उल्टे मुसलमानों को बेवजह के मुद्दों में उलझा कर दिगभ्रमित किया जाता है एवं भेदभाव पैदा करने की कोशिश करते हुए नफरत एवं आपसी सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जाता है। इस तरह की गतिविधियों में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों के द्वारा दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है विगत दिनों विधानसभा सत्र के दौरान जो हंगामा देखा गया। बैठक को संबोधित करते हुए अंजुमन इस्लामिया रांची के अध्यक्ष श्री इबरार अहमद ने कहा कि वास्तव में मुसलमानों की बुनियादी समस्याओं से ध्यान हटाने का प्रयास किया जाता है। श्री अहमद ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुसलमानों की बुनियादी समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। श्री अहमद ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों को सियासी मोहरा बनाकर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधा जा रहा है। कुछ राजनीतिक पार्टी की पूरी राजनीति ही मुस्लिम विरोध पर केन्द्रित है परन्तु जो सेकुलर पार्टियां हैं वे भी मुस्लिम समाज की बुनियादी समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं कर रहीं हैं। झारखंड गठन के बाद से आज तक केवल मुसलमानों को राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया गया है। श्री इबरार अहमद ने धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया परन्तु धर्म के आधार पर विभिन्न अल्पसंख्यक वर्गों को आरक्षण से वंचित करने को अनुचित एवं अन्याय करार देते हुए ऐसे लोगों को आरक्षण का लाभ देने की बात कहा। श्री इबरार अहमद ने झारखंड सरकार से मौलाना आजाद के नाम पर कल्चरल एण्ड एजुकेशन सेंटर के लिए पांच एकड़ जमीन देने की मांग की। अंजुमन इस्लामिया रांची के महासचिव श्री मोख्तार अहमद ने कहा कि झारखंड का मुस्लिम समाज मोबलिंचिग का शिकार है। मोबलिंचिंग में मारे गए लोगों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही मोबलिंचिंग में शामिल दोषी अपराधियों के विरुद्ध कारवाई की गई उल्टा ऐसे तत्वों को संरक्षण दिया गया। श्री अहमद ने कहा कि इसी प्रकार कई अन्य निराधार एवं बेबुनियाद आरोप लगा कर लगातार मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इस मौके पर परवेज़ अहमद बड़ा बाबू मौलाना आज़ाद कॉलेज, मौलाना तौफ़ीक़ क़ादरी, एस अली, मतिउर्रह्मान, ज़फ़र कमाल, मो खलील, गयासुद्दीन मुन्ना, हाजी नवाब, ज़ाहिद खान, साजिद उमर, मो मून, हैदर अली, मो अफ्फान, मो अख्तर, मास्टर सलाहुद्दीन, मो मुस्तकीम आदि मौजूद थे।
बैठक में यह मांग किया गया
अल्पसंख्यकों विशेष कर मुसलमानों की बुनियादी समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस एवं कारगर कदम उठाया जाए। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अल्पसंख्यक आयोग, अल्पसंख्यक वित्त निगम वक्फ बोर्ड, मदरसा
बोर्ड उर्दू अकादमी जैसी संवैधानिक ईकाईयों का गठन अति शीघ्र किया जाए।
राज्य में गठित होने वाले बोर्ड, निगम, बीस सूत्री समितियों आयोग आदि जैसी संस्थाओं में अल्संख्यकों
को आबादी के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व दी जाए। झारखंड में बुनकरों एवं कारीगरों की स्थिति अत्यंत खराब है इसलिए बुनकरों एवं पारंपरिक कारीगरों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम एवं योजनाओं को सुचारू रूप से चलाया जाए। बुनकरों की दुनियादी समस्याओं का समाधान हो एवं उन्हें सब्सिडी और अनुदान राशि दी जाए।
मुस्लिम अल्पसंख्यकों के रोजगार, शिक्षण, प्रशिक्षण रोजगारपरक कौशल प्रशिक्षण एवं विकास के लिए
विशेष कार्यक्रम चलाएं जाएं।
झारखंड में सच्चर समिति एवं रंगनाथ समिति की अनुशंसाओं को लागू कर कार्यान्वित की जाए।
# मुस्लिम छात्र-छात्राओं के लिए झारखंड के हर जिला मुख्यालय में छात्रावास का निर्माण कराया जाए। राजधानी रांची स्थान चिन्हित एवं आवंटित कर साहित्यक गतिविधियों के लिए गालिब भवन का निर्माण कराया जाए।
मौलाना आजाद द्वारा निर्मित मदरसा इस्लामिया रांची का भवन एक सौ वर्षों से ज्यादा पुराना हो चुका है। एवं भीड़ वाले व्यवसायिक क्षेत्र में होने के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। अतः मौलाना आजाद के यादगार शिक्षा एवं सांस्कृतिक केंद्र के लिए पांच एकड़ जमीन चिन्हित कर सरकारी भूमि आवंटित की जाए।
झारखंड राज्य में स्थित वक्फ भूमि, संपत्ति एवं अंशदान से प्राप्त राशि का पार्दर्शितापूर्ण व्यापक समाज
हित में उपयोग हो। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की मान्यता, स्थायीकरण एवं वित्तीय सहायता और यथासमय वेतन भूगतान किया जाए। #