27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन ने भी बगैर विधायक बने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी
हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कर दिया कि उनके पिताजी गुरु शिबू सोरेन के सबसे जिगरी और चहेता माने जाने वाले हाजी हुसैन अंसारी प्रथम दृष्टि में रहते हैं ।
हाफिज उल हसन के मंत्री बनाए जाने के बाद मुस्लिम वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई है।
परवेज कुरेशी
रांची। मरहूम हाजी हुसैन अंसारी अल्पसंख्यक राज्य मंत्री विधायक मधुपुर के साहबजादे हफीज उल हसन ने शुक्रवार को झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने गोपनीयता की शपथ दिलाई इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री राज्य सभा सदस्य शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई मंत्री ,विधायक गण उपस्थित थे।
बगैर विधायक बने मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर शपथ लेने की झारखंड में यह पांचवे शख्सियत है हाफिज उल हसन। यह और बात है कि इसके पूर्व बिना विधायक बने मंत्री या मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाला कोई भी नेता मंत्री-मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।
सर्वप्रथम राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल विधायक ने 15 नवंबर 2000 को जब शपथ ली थी, तब वह झारखंड विधानसभा के सदस्य नहीं थे।
उस वक्त वह लोकसभा के सदस्य थे और केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री थे। केंद्र में मंत्री का पद छोड़ने के बाद उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी। रामगढ़ के तत्कालीन विधायक शब्बीर अहमद कुरैशी उर्फ भेड़ा सिंह का निधन हो गया। शब्बीर अहमद कुरैशी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। उनके निधन से इस सीट पर उपचुनाव हुआ और बाबूलाल मरांडी इस सीट पर जीत हासिल कर झारखंड विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद 2006 में राज्य में निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा जब मुख्यमंत्री बने, भानु प्रताप शाही के पिता हेमेंद्र प्रताप देहाती को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वह विधायक नहीं थे। मधु कोड़ा की सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन जब सरकार बनी तो उन्हें एक आपराधिक मामले में जेल जाना पड़ा।
इनके बाद 27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन ने भी बगैर विधायक बने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद वह 2009 में तमाड़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, लेकिन उन्हें झारखंड पार्टी के प्रत्याशी राजा पीटर उर्फ गोपाल कृष्ण पातर के हाथों पराजित होने के कारण मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
अर्जुन मुंडा 2009 में जमशेदपुर से सांसद चुने गये थे। इसके बाद 11 सितम्बर 2010 को जब वे तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, तो झारखंड विधानसभा सीट के सदस्य नहीं थे। बाद में खरसावां सीट पर हुए उपचुनाव में जीतकर वे विधानसभा पहुंचे, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। झामुमो द्वारा समर्थन वापस लेने की वजह से उनकी सरकार बीच में ही गिर गयी थी।अब हाफिज उल हसन को मंत्री पद का शपथ दिलाई गई है और कुछ ही महीनों बाद मधुपुर में उपचुनाव भी होनी है ।यह तो स्पष्ट है कि मधुपुर से जे एमएम की सीट पर हाफिजुल हसन ही उम्मीदवार होंगे । लेकिन 2 दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह के बड़बोली ने थोड़ी सी महागठबंधन में खटास जरूर डाल दी । इतना ही नहीं पेड़ पर कटहल और ओठ पर तेल वाली कहावत भी चरितार्थ हुई । उम्मीद लगाए बैठे थे गंडये के विधायक सरफराज अहमद के जे एमएम में जाने के बाद हाजी हुसैन अंसारी के खाली पद में उन्हें मंत्री बनाया जाएगा लेकिन हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कर दिया कि उनके पिताजी गुरु शिबू सोरेन के सबसे जिगरी और चहेता माने जाने वाले हाजी हुसैन अंसारी प्रथम दृष्टि में रहते हैं । इतना ही नहीं जेएमएम के ही विधायक रहे अकील अख्तर को भी शिबू सोरेन ने हाजी हुसैन अंसारी के सामने जगह नहीं दी थी , यही कारण है कि अकील अख्तर आजसू का दामन थाम लिया। हाफिज उल हसन के मंत्री बनाए जाने के बाद मुस्लिम वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई है।
हाफिज अल हसन अंसारी को मंत्री बनाए जाने पर पूरे झारखंड में जहाँ खुशी की लहर है वहीं मुस्लिम वर्ग में एक अलग सूची का माहौल है मंत्री बनाए जाने पर बधाई देने वालों में झारखंड हज कमेटी के पूर्व चेयरमैन मंजूर अहमद अंसारी, समाजसेवी खुर्शीद हसन रूमी,सीनियर पत्रकार सफीक अंसारी, सेंट्रल मोहर्रम कमेटी के महासचिव अकील उर रहमान, एदारा शरिया झारखंड के संरक्षक मोहम्मद सईद, मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी, मरहबा ह्यूमन सोसाइटी के नेहाल अहमद, झारखंड राज्य हज कमेटी के सदस्य हजरत मौलाना सैयद तहजीब उल हसन रिजवी, औरंगजेब खान, हाजी सरवर आलम, हाजी माशूक, हाजी हलीम, असजद खान, पप्पू खान, नौशाद खान, आम जनता हेल्पलाइन के अध्यक्ष एजाज गद्दी, कांग्रेसी लीडर सैयद हसनैन जैदी, मेहंदी इमाम, जामिया उस्मान बिन अफन खोरी महवा जिला गिरीडीह के मौलाना इलियास मजाहिरी, इस्लामिक स्कॉलर मौलाना मूसवी रजा समेत सैकड़ों लोगों ने बधाई दी है।