मस्जिद जाफरिया में मजलिस अज़ा 4 से 7 फ़रवरी तक
तनवीर अनवर की कुर्बानी भुलाई नही जा सकती: मौलाना तहजिबुल हसन
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के मशहूर व मक़बूल समाजसेवी सैयद तनवीर अनवर का इंतेक़ाल बंगलौर में हो गया। (इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजीउन) इनका नमाज़ जनाज़ह बंगलौर में ही अदा की गई और बंगलौर के असकरी कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। उनकी याद में मस्जिद जाफरिया रांची में चार दिवसीय मजलिस अज़ा का आयोजन 4 से 7 फरवरी तक किया गया है। 4 फरवरी मजलिस को झारखंड राज्य हज समिति के सदस्य सह मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हज़रत मौलाना हाजी सैयद तहजिबुल हसन रिज़वी सम्बोधित करेंगे। 5 को मौलाना उरुजूल हसन रिज़वी, 6 को मौलाना क़ासिद अब्बास हुसैनी और 7 फरवरी को मौलाना सैयद नदीम असगर सम्बोधित करेंगे। हजऱत मौलाना सैयद तहजिबुल हसन रिज़वी ने ग़म का इजहार करते हुए कहा कि तनवीर अनवर समाजी खिदमत में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। लोगों के दुख दर्द की घड़ी में हमेशा आगे रहते थे। शिया के मजहबी प्रोग्राम में इस घराने का बहुत अहम रोल रहा है। अनवर वकील से लेकर मंसूर अनवर, खुर्शीद अनवर, तनवीर अनवर, सैयद यावर हुसैन के कुर्बानियों का जितनी भी तारीफ की जाए कम है। रांची ने एक अनमोल रतन खो दिया। जिसकी भरपाई बहुत मुश्किल है। सैयद तनवीर अनवर मशहूर पूर्व अधिवक्ता सैयद अनवर हुसैन के पुत्र थे। स्वर्गीय सैयद अनवर 1967 की राइट में मुसलमानों के लिए बहुत काम किया, इनकी कुर्बानी को भुलाया नही जा सकता। वहीं सैयद फ़राज़ अब्बास ने अपने आंसुओ को छुपाते हुए कहा कि वह मेरे चाचा थे लेकिन पिता के गुजरने के बाद उन्होंने अपने बेटे जैसा प्यार दिया। आज हमारे सरो से वो साया भी उठ गया। वह अपने पीछे तीन बेटा सैयद सुरूर अनवर ताबिश, सैयद यासीर अनवर, सैयद अहमद तक़ी और पत्नी समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए।