मुहर्रम के मौके पर याद किए गए अली असगर

रांची: हजरत इमाम हुसैन के नन्हे बालक हजरत अली असगर की याद में मस्जिद ए जाफरिया परिसर में मजलिस ए शहादत का आयोजन किया गया। इस सभा को संबोधित करते हुए मस्जिद जाफारिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना हाजी सय्यद तहजीबुल हसन रिजवी ने हजरत अली असगर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्बला की धरती का मुजाहिद था और इमाम हुसैन का नन्हा बालक था। जिसका जवाब इतिहास में नहीं मिलता। कर्बला की जंग में 6 महीने के बालक हजरत अली असगर को सिर्फ इस लिए मार दिया गया की वह प्यासा था। यजीदी सेना ने अली असगर पर तीर मारा, तो अली असगर ने मुस्कुराकर तीर का मुकाबला किया और शहादत की मंजिल पर पहुंच गए। अली असगर ने मुस्कुराकर जान देकर रहती दुनिया को यह संदेश दे दिया की हक(सच्चाई) पर मुस्कुराकर जान देना शहादत है, हलाकत नहीं। वो नन्हा बालक भी तीन दिन का भूखा प्यासा था। उनके पिता हज़रत इमाम हुसैन ने कहा बच्चे का क्या कसूर, पानी पिला दो। पानी पिलाने के बजाय दुश्मन की फौज ने तीर से हमला किया और 6 माह का अली असगर को शहीद कर दिया। इसीलिए पूरे विश्व में आज अली असगर डे मनाया जाता है। आज के दिन इंसानियत शर्मसार है, कि क्या कोई बच्चों को भी कत्ल करता है। हजरत अली असगर के शहादत को सुनकर लोग चीख चीख कर रोने लगे। हजरत अली असगर की याद में झूला निकाला गया पूरा मस्जिद परिसर हाय असगर, प्यासे असगर की सदा से गूंज उठा। नौहा खानी अशरफ हुसैन, कासिम अली, गुलाम अली ने किया। इस कार्यकर्म का अयोजन सैयद जावेद हैदर, सैयद जाफर हुसैन ने संयुक्त रूप से किया।