जनहित में समर्पित व्यक्तित्व
नेकी कर दरिया में डाल। परोपकार करके ढ़िढोरा न पीटें। अपना कर्म करते रहें, फल की चिंता न करें। इन सिद्धांतों के हिमायती हैं राजधानी के हिंदपीढ़ी स्थित ग्वालाटोली निवासी लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता सैयद हसनैन जैदी। वह पीड़ितों व गरीबों के सहायतार्थ सदैव तत्पर रहते हैं। परोपकार करना उनकी दिनचर्या में शुमार है। हसनैन जैदी की प्रारंभिक शिक्षा पलामू जिले के बरवाडीह से हुई। राजधानी रांची स्थित मौलाना आजद कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट किया। स्नातक की पढ़ाई के लिए पटना गए, लेकिन कतिपय कारणों से आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके। उनके पिता स्व. सैयद तौकीर हुसैन जैदी रेलकर्मी थे। वह भी सेवानिवृति के बाद सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। हसनैन जैदी को समाजसेवा की प्रेरणा अपने पिता से मिली। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने व्यवसाय शुरु किया। पेशे से व्यवसायी हसनैन बचपन से ही दयालु प्रवृति के रहे हैं। किसी की पीड़ा देखकर द्रवित हो जाना और उसकी सहायता में जुट जाना उनकी आदतों में शुमार है। वह समाजसेवा को सर्वोपरि समझते हैं। सभी धर्मों को समान आदर देना, विभिन्न धर्मों के धार्मिक आयोजनों के अवसर पर सेवा शिविर लगाकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करना उनकी खासियत है। हर साल वह हज के समय आजमीने हज की सुविधा के लिए मक्का-मदीना में सेवा शिविर का आयोजन करते हैं। यह धर्म के प्रति उनकी आस्था का प्रतीक है। पूरे विश्व से आनेवाले हजयात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका वह ध्यान रखते हुए शिविर लगाते हैं। मुख्य रूप से उनका सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्षेत्र यूं तो उनके पैतृक निवास स्थान झारखंड के हुसैनाबाद प्रखंड अंतर्गत है, लेकिन समाजसेवा के क्षेत्र में उनका बृहत दायरा है। जाड़े के दिनों में वह अपने वाहन में कंबल व अन्य गर्म वस्त्र साथ लेकर चलते हैं। कहीं भी ठंढ से ठिठुरते गरीब पर नजर पड़ी तो उन्हें कंबल व अन्य गर्म वस्त्र दानस्वरूप दे देते हैं। वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से भी जुड़े हैं। उनका राजनीतिक कार्यक्षेत्र हुसैनाबाद प्रखंड है। वह समाजसेवा को सर्वोपरि मानते हैं। हसनैन जैदी कहते हैं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाजसेवा करनी चाहिए। राजनीतिक क्षेत्र में रहते हुए समाज को लाभान्वित करने से राजनीति का मकसद पूरा हो जाता है। वह दानवीर भी हैं। रांची के ओरमांझी प्रखंड अंतर्गत कुच्चू गांव में कब्रिस्तान के लिए कम पड़ रही जमीन के बारे में उन्हें जब जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन सहित अन्य जमीन क्रय कर कब्रिस्तान निर्माण के लिए तकरीबन 50 डिसमिल जमीन दान में दी। वह कहते हैं कि जनता के बीच समाजसेवी के रूप में कार्य कर रहा हूं। जनता ने जनप्रतिनिधि बनने का अवसर दिया तो उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। समाज के प्रति अपने संदेश में वह कहते हैं कि सभी जाति, धर्म व संप्रदाय के लोगों को देश की एकजुटता व अखंडता के लिए प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। इससे राष्ट्र सशक्त होता है।